पर्यावरण दिवस पर वेबिनार आयोजित किया गया
वेबिनार को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं जागरण इंस्टीट्यूट आफ मास कम्युनिकेशन, कानपुर के निदेशक डॉ उपेंद्र ने कहा कि पर्यावरण को बचाने की दिशा में सरकारी स्तर पर निर्धारित मानकों को सरकार स्वयं ही पूरा नहीं कर पा रही है। उनका मानना था कि प्रशासनिक उपेक्षा पर्यावरण नुकसान के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि वाहन आदि से जितना नुकसान पर्यावरण को नहीं हो रहा है उतना बिना मानकों के पुराने जनरेटरों के अंधाधुंध उपयोग से हो रहा है। सामान्य जीवन से जुड़े छोटे छोटे उदाहरणों से अपनी बात को प्रभावी ढंग से रखा।
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली के सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अर्चना कुमारी ने क्लाइमेट मिसइंफॉर्मेशन से जुड़े हुए अनेक मिथों की चर्चा करते हुए वास्तविक तथ्यों की ओर ध्यान आकृष्ट किया। उनका मानना था कि डिजिटल मीडिया के दौर में वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित सूचनाएं पर्यावरण प्रदूषण से हमारी रक्षा कर सकेंगी। उन्होंने कहा पर्यावरण हमें विरासत में नहीं मिला है बल्कि हमें इसे भावी पीढ़ियों के लिए बेहतर बनाने के लिए प्रयत्नशील होना होगा।
भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के पूर्व अधिकारी जयपुर के श्री राजेंद्र भाणावत ने कहा पर्यावरण प्रदूषण का कारण कोई और है और भुगत कोई और रहा है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन की विसंगतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि हम सामूहिक रूप से प्रयास कर अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने की दिशा में कार्य कर सकते हैं। उन्होंने कार पूलिंग से लेकर प्रभावी सार्वजनिक यातायात व्यवस्था की आवश्यकता भी महसूस की।
कम्यूनिकेशन टुडे के संपादक एवं राजस्थान विश्वविद्यालय के जनसंचार केंद्र के पूर्व अध्यक्ष प्रो संजीव भानावत ने वेबिनार का संचालन एवं विषय की पृष्ठभूमि को स्पष्ट करते हुए कहा कि मानव और प्रकृति एक दूसरे के सहचर हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में पर्यावरण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की पहल पर पर्यावरण दिवस प्रतिवर्ष 5 जून को मनाने की परंपरा शुरू की गई है। इस वर्ष की थीम है – सॉल्यूशंस टू प्लास्टिक पॉल्यूशन।
चर्चा में सहभागिता करते हुए भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली के प्रो राकेश गोस्वामी ने ग्राउंड वाटर के स्थान पर सरफेस वाटर के प्रभावी उपयोग की रणनीति बनाने की आवश्यकता महसूस की वहीं कानपुर से वरिष्ठ पत्रकार एवं मीडिया शिक्षक श्री रामकृष्ण वाजपेई ने जल संकट की ओर संकेत किया। चर्चा में पूना के शोधार्थी जयवीर सिंह तथा सऊदी अरब से छोटू सिंह प्रजापत ने भी अपनी बात रखी।
वेबिनार का तकनीकी पक्ष आईआईएमटी यूनिवर्सिटी, मेरठ की मीडिया शिक्षक डॉ पृथ्वी सेंगर ने संभाला। वेबिनार में देश के विभिन्न अंचलों से 231 प्रतिभागियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया।
हमारे इस वैचारिक अभियान को सफल और सशक्त बनाने के लिए आपसे अनुरोध है कृपया इस यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें, शेयर करें और अपनी टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें। ऊपर दिए गए लिंक को क्लिक कर आप इस चर्चा के साथ जुड़ सकते हैं।